अब भारत का कोई भी नागरिक केंद्र शाशित प्रदेश जम्मू कश्मीर में अपना मकान, कारोबार के लिए जमीन खरीद सकता है। भूमि स्वामित्व अधिनियम कानून पारित।

देश के विभिन्न राज्यो में रहने वाले नागरिक अकसर सोचा करते कि धरती पे स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू कश्मीर राज्य में उनका भी अपना घर होता। उनका अब यह सपना साकार हो गया है । वे अब जब चाहे केंद्र शाशित राज्य जम्मू कश्मीर में अपने सपनो का घर बना सकते है।

क्योंकि केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में भूमि स्वामित्व अधिनियम सम्बधी कानूनों का संशोधन कर दिया है।

अब देश का कोई भी नागरिक जम्मू कश्मीर राज्य में अपने मकान, दुकान और कारोबार के लिये जमीन खरीद सकता है।

अब उस कोई भी पाबन्दी नही होगी।


हालांकि, अभी खेती की जमीन को लेकर रोक जारी रहेगी। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के मुताबिक, हम चाहते हैं कि बाहर के उद्योग जम्मू-कश्मीर में लगें, इसलिए औद्योगिक जमीन में निवेश की जरूरत है। लेकिन खेती की जमीन सिर्फ राज्य के लोगों के लिए ही रहेगी। केंद्र सरकार का यह फैसला जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य के केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पुनर्गठित होने की पहली सालगिरह से करीब चार दिन पहले आया है।  

जानें- पहले क्या था नियम

उल्लेखनीय है कि पांच अगस्त 2019 से पूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य की अपनी एक अलग संवैधानिक व्यवस्था थी। उस व्यवस्था में सिर्फ जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिक जिनके पास राज्य का स्थायी नागरिकता प्रमाण पत्र जिसे स्टेट सब्जेक्ट कहा जाता है, हो, वहीं जमीन खरीद सकते थे। देश के किसी अन्य भाग का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में अपने मकान, दुकान, कारोबार या खेतीबाड़ी के लिए जमीन नहीं खरीद सकता था। वह सिर्फ कुछ कानूनी औपचारिकताओं को पूरा कर पट्टे के आधार पर जमीन प्राप्त कर सकता था या किराए पर ले सकता था।लेकिन अब बाहर से जाने वाले लोग भी जमीन खरीदकर वहां पर अपना काम शुरू कर सकते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ये फैसला जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत लिया है, जिसके तहत कोई भी भारतीय अब जम्मू-कश्मीर में फैक्ट्री, घर या दुकान के लिए जमीन खरीद सकता है। इसके लिए किसी तरह के स्थानीय निवासी होने का सबूत देने की भी जरूरत नहीं होगी।

कृषि भूमि की खरीद के लिए स्थानीय निवासी होना जरूरी
जम्मू-कश्मीर का संविधान और कानून समाप्त होने के बावजूद भूमि स्वामित्व अधिनियम संबंधी कानून में आवश्यक सुधार पर संशोधन की प्रक्रिया काे अंतिम रूप नहीं दिया गया था। अलबत्ता, गत शाम केंद्रीय गृहसचिव ने इस संदर्भ में आवश्यक अधिसूचना जारी कर दी। इस अधिसूचना के मुताबिक, देश के किसी भी भाग का कोई भी नागरिक अब बिना किसी मुश्किल मकान-दुकान बनाने या काराेबार के लिए जमीन खरीद सकता है। इसके लिए उसे कोई डोमिसाइल या स्टेट सब्जेक्ट की औपचारिकता को पूरा करने की जरूरत नहीं है। डोमिसाइल की आवश्यकता सिर्फ कृषि भूमि की खरीद के लिए होगी।

पिछले साल जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 से मुक्त किया गया

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर को पिछले साल ही अनुच्छेद 370 से मुक्त किया गया है, उसके बाद 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया था। अब केंद्र शासित प्रदेश होने के एक साल पूरे होने पर जमीन के कानून में बदलाव किया गया है.।

जमीन के कानून में बदलाव का विरोध शुरु

केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद कश्मीर केंद्रित दलों जिनमें नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख हैं, ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री व नेशनल कांफ्रेंस के प्रधान उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी की प्रधान महबूबा मुफ्ती ने आदेश को असंवैधानिक करार देेते हुए कहा कि उन्हें यह कानून किसी कीमत पर भी स्वीकार नहीं होगा।

उद्योग जगत से जुड़े लोगों ने किया स्वागत

वहीं उद्योग जगत से जुड़े लोग इस नए कानून को संजीवनी करार दे रहे हैं। उद्योगपतियों का कहना है कि भूमि कानून लागू होने के बाद जम्मू-कश्मीर में उद्योग की संभावनाएं बढ़ेंगी। देश के दूसरे राज्यों में स्थित बड़े-बड़े उद्योगपति जम्मू-कश्मीर में उद्योग लगाने के लिए प्रेरित होंगे, जिससे यहां बेरोजगारी दूर होगी।

जम्मू-कश्मीर में लगातार बदलाव

आपको जानकारी हो कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को पूरी तरह से बदल दिया है। पहले उन्होंने अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त कर दिया, फिर रोशनी एक्ट को हटा दिया और अब यह नया कानून पारित किया गया है जो सभी भारतीयों को जम्मू-कश्मीर में कहीं भी जमीन खरीदने का एक वैध अधिकार सुनिश्चित करता है। यह निश्चित रूप से एक भारत, श्रेष्ठ भारत आंदोलन को बढ़ावा देता है।

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